तुम्हारा आना
तपती रेत पर
पानी के फव्वारे सा लगा,
जिसने मेरे तपते मन को
शीतलता पहुँचायी थी...
तुम्हारा मिलना
दिन मेँ देखे
सपने के पूरा होने सा लगा,
जिससे मेरे जीवन मेँ
नई रंगीनियाँ छायी थी...
तुम्हारा देखना
मुझ पर पड़े
चमकते प्रकाश सा लगा,
जिसने मेरे चेहरे की
सुन्दरता बढ़ायी थी...
तुम्हारा बोलना
सुध-बुध खो
देने वाली आवाज़ सा लगा,
जिसके लिए मैँ
बरसोँ से बौरायी थी...
तुम्हारा मुस्कुराना
खिले बाग मेँ
आयी नई बहार सा लगा,
जिससे मेरे जीवन मेँ
खुशियाँ आयी थी...
तुम्हारे पास होने की अनुभूति ने
जीवन का एक
अलग रूप दिखाया था...
अच्छे से तो याद नहीँ पर
शायद,
ऐसा ही हुआ था
प्रेम मेँ...
सुन्दर अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteअच्छी अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteअच्छे से तो याद नहीँ पर
ReplyDeleteशायद,
ऐसा ही हुआ था
प्रेम मेँ...
pooree kriti khoobsoorat hai aur yeh to behad hee khoobsoorat hai
अच्छे से तो याद नहीँ पर
शायद,
ऐसा ही हुआ था
प्रेम मेँ...
sach, ailsa laga jaise behad achchhe bhojan ke ant men manpasand mithaee bhee mil gaee ho. badhai
आप सभी का हार्दिक धन्यवाद जो आप सब मुझे हर समय प्रोत्साहित करते हैँ...
ReplyDeleteशायद,
ReplyDeleteऐसा ही हुआ था
प्रेम मेँ...
यकीनन,
ऐसा ही हुआ था
प्रेम मेँ...
bahut hi umda rachna....!!
ReplyDeleteसच लिखती हो एहसासों को सुंदर शब्द दिए हैं.
ReplyDeleteअनुपम!
ReplyDeleteमिताली जी, प्रेम की कोमल अनुभूति की बढ़िया अभिव्यक्ति...बहुत प्यारी रचना.
ReplyDeleteबेहतरीन रचना..बधाई
ReplyDeleteनीरज
Bhut hi khubsurat rachna...my blog is "kaavya kalpna"..at http://satyamshivam95.blogspot.com/ aap aaye aur mera margdarshan kare,.thnks
ReplyDeleteबहुत अच्छा....मेरा ब्लागः"काव्य कल्पना" at http://satyamshivam95.blogspot.com .........साथ ही मेरी कविता "हिन्दी साहित्य मंच" पर भी.......आप आये और मेरा मार्गदर्शन करे...धन्यवाद
ReplyDeleteतुम्हारे पास होने की अनुभूति ने
ReplyDeleteजीवन का एक
अलग रूप दिखाया था...
अच्छे से तो याद नहीँ पर
शायद,
ऐसा ही हुआ था
प्रेम मेँ...
बेहद खूबसूरत कविता.
सादर
वाह प्रेम का सुन्दर निरुपण्।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रेमाभिव्यक्ति ! बहुत खूब !
ReplyDeleteतुम्हारा मुस्कुराना
खिले बाग मेँ
आयी नई बहार सा लगा,
जिससे मेरे जीवन मेँ
खुशियाँ आयी थी...
बेहतरीन पंक्तियाँ !
खूब लिखा है लिखती रहना.
ReplyDeleteउदगारों को कहती रहना.