Saturday, January 29, 2011

तुम्हें करके शामिल...

मर के इक दिन मिट्टी में मिल जाना है मुझे,
उसी मिट्टी में बनके फूल, खिल जाना है मुझे...

चुपके से तुम्हारे सपने में आ जाना है मुझे,
उसी सपने में तुम्हें चुरा के, पा जाना है मुझे...

बारिश के बाद की उजली रात सा हो जाना है मुझे,
उसी रात में इक चमकता चाँद, हो जाना है मुझे...

जुदा हो कर भी तुम्हारी दुआ बन जाना है मुझे,
उसी दुआ में तुम्हारी याद, बन जाना है मुझे...

तुम्हारी चाहत में बनके आँसू बह जाना है मुझे,
उसी आँसू में जुदाई का गम भी, सह जाना है मुझे...

चंद लम्होँ की ज़िन्दगी में दो पल बिता ले जाना है मुझे,
उसी पल में सबको हसीन खुशियाँ, दे जाना है मुझे...

तेज़ आँधियों में भी अपना वजूद पहचान जाना है मुझे,
उसी वजूद मेँ तुम्हें करके शामिल, अपना मान जाना है मुझे...