Wednesday, September 7, 2011

मुझको सज़ा मिली...


मेरे ग़म ने तो मुझको हमेशा सहारा दिया

तेरी खुशियों को माँगा तो मुझको सज़ा मिली


हर तरफ से बस अँधेरे ने डराया मुझको

दिल जला के रौशनी की तो मुझको सज़ा मिली


उस तरफ कोई रास्ता ना गया जहाँ मंज़िल थी मेरी

इक भटकी सी मंज़िल चुनी तो मुझको सज़ा मिली


ना चाहा था खुद को धोखे में रखना कभी

पर एक सच को छुपाया तो मुझको सज़ा मिली


लफ्ज़, ख्याल, सपने, अरमान, सब खोते चले गए

फिर तन्हाई का सहारा लिया तो मुझको सज़ा मिली


ना ख्वाहिश चाँद-सितारों की, ना चाहा था गुल्ज़ारों को

बस एक पत्थर की पूजा की तो मुझको सज़ा मिली


मेरा आशियाना हरदम उजड़ता रहा तूफानों से

फिर भी मैं बस मुस्कायी तो मुझको सज़ा मिली


मेरी मुहब्बत पे तुझसे कोई सवाल करे ये मंज़ूर ना था

जो दिल में मैंने मुहब्बत छुपायी तो मुझको सज़ा मिली

19 comments:

  1. ना ख्वाहिश चाँद-सितारों की, ना चाहा था गुल्ज़ारों को

    बस एक पत्थर की पूजा की तो मुझको सज़ा मिली.... NICE>>>

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  2. ना ख्वाहिश चाँद-सितारों की, ना चाहा था गुल्ज़ारों को

    बस एक पत्थर की पूजा की तो मुझको सज़ा मिली

    बहुत गजब का लिखा है आपने।

    सादर

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  3. Wah sundar :)

    --
    Hamare bhi blog par aae ..or hume suggestions dein..:)

    http://ygdutt.blogspot.com/

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  4. बहुत अच्छी रचना...बधाई

    नीरज

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  5. har saza ki bhi umar hoti h... ummeed karte hain k tumhari saza ki umar chhoti ho.. keep writing :)

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  6. मेरी मुहब्बत पे तुझसे कोई सवाल करे ये मंज़ूर ना था

    जो दिल में मैंने मुहब्बत छुपायी तो मुझको सज़ा मिली

    यही दस्तूर है....

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  7. logo ka kaam hi yahi hai....saja ko unki ada samjhe aur manzil k liye safar tay karti rahe...yahi behtar hoga.

    sunder rachna.

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  8. मेरा आशियाना हरदम उजड़ता रहा तूफानों से

    फिर भी मैं बस मुस्कायी तो मुझको सज़ा मिली

    .... बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।

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  9. ना चाहा था खुद को धोखे में रखना कभी

    पर एक सच को छुपाया तो मुझको सज़ा मिली
    waah

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  10. तेरी खुशियों को माँगा तो मुझको सज़ा मिली

    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

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  11. bahut sunder bhav ki sunder racna..........

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  12. कल 09/09/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  13. बहुत गहरा सोच और अभिव्यक्ति |

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  14. बहुत सुन्दर ………शानदार्।

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  15. ना चाहा था खुद को धोखे में रखना कभी

    पर एक सच को छुपाया तो मुझको सज़ा मिली

    वाह शानदार

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  16. ना ख्वाहिश चाँद-सितारों की, ना चाहा था गुल्ज़ारों को

    बस एक पत्थर की पूजा की तो मुझको सज़ा मिली

    bahut khub

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  17. मेरा आशियाना हरदम उजड़ता रहा तूफानों से
    फिर भी मैं बस मुस्कायी तो मुझको सज़ा मिली.........Wah !

    kya kahne !!

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