Monday, January 16, 2012

तलाश...

ज़िन्दगी भर
बस भागते ही रहना,
एक अनजानी तलाश के पीछे,
जहाँ कुछ भी हाथ नहीं आता,
जहाँ कुछ भी मन नहीं पाता,
झुंझला के रख देता है मुझे...
आज तक ये ना समझा मन
कि इसे तलाश किसकी है,
और यही अनजानी, अनसुलझी तलाश
कभी पूरी ना हो पाई,
गोया मेरी किस्मत में
बस भागना ही लिखा है...
ज़िन्दगी जीने के वक़्त
बेसबब भागना
ना तो तलाश पूरी करता है,
ना ही ज़िन्दगी जीने देता है
और धीरे-धीरे
हाथ से छूटता जाता है सबकुछ
पीछे,
कहीं दूर...

9 comments:

  1. सटीक ..सब भाग रहे हैं ..ना जाने किस तलाश में ..

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  2. अच्छी अभिव्यक्ति

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  3. ज़िन्दगी हैं,सब भाग रहे हैं

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  4. बहुत बढ़िया प्रस्तुति|

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  5. ये तो जीवन है ... भागना भागना फिर जो पीछे छूट जाए उसके लिए शोक मनाना ...

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  6. talaash kabhi khatam nahi hoti...behtar hai kahin kabhi n kabhi kuchh paane k uddeshy se hi aaram kiya jaya.
    sunder prastuti.

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  7. आपके "सपनों की दुनिया" भा गयी...
    आज से पीछा कर रही हूँ :-)
    शुभकामनाएँ.

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