ज़िन्दगी भर
बस भागते ही रहना,
एक अनजानी तलाश के पीछे,
जहाँ कुछ भी हाथ नहीं आता,
जहाँ कुछ भी मन नहीं पाता,
झुंझला के रख देता है मुझे...
आज तक ये ना समझा मन
कि इसे तलाश किसकी है,
और यही अनजानी, अनसुलझी तलाश
कभी पूरी ना हो पाई,
गोया मेरी किस्मत में
बस भागना ही लिखा है...
ज़िन्दगी जीने के वक़्त
बेसबब भागना
ना तो तलाश पूरी करता है,
ना ही ज़िन्दगी जीने देता है
और धीरे-धीरे
हाथ से छूटता जाता है सबकुछ
पीछे,
कहीं दूर...
बस भागते ही रहना,
एक अनजानी तलाश के पीछे,
जहाँ कुछ भी हाथ नहीं आता,
जहाँ कुछ भी मन नहीं पाता,
झुंझला के रख देता है मुझे...
आज तक ये ना समझा मन
कि इसे तलाश किसकी है,
और यही अनजानी, अनसुलझी तलाश
कभी पूरी ना हो पाई,
गोया मेरी किस्मत में
बस भागना ही लिखा है...
ज़िन्दगी जीने के वक़्त
बेसबब भागना
ना तो तलाश पूरी करता है,
ना ही ज़िन्दगी जीने देता है
और धीरे-धीरे
हाथ से छूटता जाता है सबकुछ
पीछे,
कहीं दूर...
सटीक ..सब भाग रहे हैं ..ना जाने किस तलाश में ..
ReplyDeleteअच्छी अभिव्यक्ति
ReplyDeleteज़िन्दगी हैं,सब भाग रहे हैं
ReplyDeleteसच कहा।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति|
ReplyDeleteये तो जीवन है ... भागना भागना फिर जो पीछे छूट जाए उसके लिए शोक मनाना ...
ReplyDeletetalaash kabhi khatam nahi hoti...behtar hai kahin kabhi n kabhi kuchh paane k uddeshy se hi aaram kiya jaya.
ReplyDeletesunder prastuti.
आपके "सपनों की दुनिया" भा गयी...
ReplyDeleteआज से पीछा कर रही हूँ :-)
शुभकामनाएँ.
Bahut Badhiaa...
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