मर के इक दिन मिट्टी में मिल जाना है मुझे,
उसी मिट्टी में बनके फूल, खिल जाना है मुझे...
चुपके से तुम्हारे सपने में आ जाना है मुझे,
उसी सपने में तुम्हें चुरा के, पा जाना है मुझे...
बारिश के बाद की उजली रात सा हो जाना है मुझे,
उसी रात में इक चमकता चाँद, हो जाना है मुझे...
जुदा हो कर भी तुम्हारी दुआ बन जाना है मुझे,
उसी दुआ में तुम्हारी याद, बन जाना है मुझे...
तुम्हारी चाहत में बनके आँसू बह जाना है मुझे,
उसी आँसू में जुदाई का गम भी, सह जाना है मुझे...
चंद लम्होँ की ज़िन्दगी में दो पल बिता ले जाना है मुझे,
उसी पल में सबको हसीन खुशियाँ, दे जाना है मुझे...
तेज़ आँधियों में भी अपना वजूद पहचान जाना है मुझे,
उसी वजूद मेँ तुम्हें करके शामिल, अपना मान जाना है मुझे...
नए अंदाज़ में एक बेहतरीन गज़ल. आभार .
ReplyDeleteवाह मिताली जी बहुत सुन्दर, मन प्रशन्न हो गया
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद
हर शेर एहसासों से भरा ...आपका शुक्रिया
ReplyDeleteमन को छू जाने वाले भावों से लबरेज ......शानदार
ReplyDeleteतुम्हारी चाहत में बनके आँसू बह जाना है मुझे,
ReplyDeleteउसी आँसू में जुदाई का गम भी, सह जाना है मुझे...
दर्द भरी ...खूबसूरती से कही ..अच्छी गज़ल
जुदा हो कर भी तुम्हारी दुआ बन जाना है मुझे,
ReplyDeleteउसी दुआ में तुम्हारी याद, बन जाना है मुझे...
वाह... इस भावपूर्ण रचना के लिए बधाई...
नीरज
सुन्दर अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteएक भविष्यक्ता की तरह आपने आज-कल और कल की बातें गज़ल में ढाल दी। सब कुछ आप ही सह रही हैं सामनेवाले की भी हिस्सेदारी होती है कुछ जिसका आपने ज़िक्र नहीं किया। एक लयबद्ध भाव के पठन के बाद ऐसी प्रतिक्रिया स्वाभाविक है। अहसासों का खूबसूरत चित्रण।
ReplyDeleteमिताली पुनेठा जी
ReplyDeleteनमस्कार !
कुछ समय बाद आपके यहां आया हूं … दिसंबर में आपके यहां गीत पढ़ कर गया था, जो बहुत पसंद आया ।
उसकी तुलना में यह रचना कम रुची ।
निराशा की तो आपकी आयु भी नहीं , रचनाओं में भी इससे बचना चाहिए ।
… लेकिन मेरे कमेंट से निराश मत हो जाना , प्लीज़
हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत ही बढ़िया लगी आपके सपनों की ये दुनिया और यह रचना भी.
ReplyDeleteचंद लम्होँ की ज़िन्दगी में दो पल बिता ले जाना है मुझे,
ReplyDeleteउसी पल में सबको हसीन खुशियाँ, दे जाना है मुझे...
बहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति..मन को छू गयी
Har lamhe ko sapno me jee rahi hai aap..
ReplyDeletehakiqat kaa samna kijiyega kabhi
har hakiqat me aapko sapne ki mehak milegi..
सुदर रचना मिताली जी ... आभार...
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर रचना......दिल को छु गयी...आपकी लेखनी में गजब का जादू है...लाजवाब।
ReplyDeleteaap sabhi ka hardik aabhaar vyakt karti hu...koshish karungi ki kabhi meri rachnaon se kisi ko bhi nirash na hona padhe...rajendra ji, aapki tippani ko main dhyan me rakhungi aur koshish karungi ki sahi disha me agrasar rahun...ek baar fir se, aap sabhi ka shukriya...
ReplyDelete... ... ...
ReplyDeleteचंद लम्होँ की ज़िन्दगी में दो पल बिता ले जाना है मुझे,
ReplyDeleteउसी पल में सबको हसीन खुशियाँ, दे जाना है मुझे...
यह चंद लम्हे कभी कभी पूरे जीवन में नहीं जी पाते.... बहुत सुंदर
चुपके से तुम्हारे सपने में आ जाना है मुझे,
ReplyDeleteउसी सपने में तुम्हें चुरा के, पा जाना है मुझे...
किसी ने सच ही कहा है काश सब सपने अपने होते
बहुत अच्छी रचना है
gajab likha hai
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