Thursday, December 2, 2010

तुम...

सुबह-सुबह जब आँखें खोलूँ,
याद तुम्हारी आ जाती है..
पलकोँ के बंद दरवाज़े से भी
अंतर्मन मेँ बस जाती है..

कभी नहीं श्रँगार किया पर,
अब सजना अच्छा लगता है..
पहले मिलन की बेला का,
हर सपना सच्चा लगता है..

बारिश की बूँदों में अब तो,
अक्स तुम्हारा दिखता है..
अनजानी सी इस दुनिया में,
एक शख़्स हमारा दिखता है..

लम्बी काली रातें कटती हैं,
तारों से बातें कर-कर के..
हर पल तुमको याद करुँ मैं,
मन में आहें भर-भर के..

कब तक रस्ता ताकूँ मैं अब,
जल्दी से तुम आ जाओ..
भगवान मेरे तुम पूजूँ तुमको,
मेरे मन मंदिर में बस जाओ..

13 comments:

  1. बारिश की बूँदों में अब तो,
    अक्स तुम्हारा दिखता है..
    अनजानी सी इस दुनिया में,
    एक शख़्स हमारा दिखता है..
    सुन्‍दर भावमय करते शब्‍द ....।

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  2. बारिश की बूँदों में अब तो,
    अक्स तुम्हारा दिखता है..
    ऐसा भी/ही होता है ...

    सुन्दर रचना

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  3. लम्बी काली रातें कटती हैं
    तारों से बातें कर-कर के
    हर पल तुमको याद करुँ मैं,
    मन में आहें भर-भर के

    अति सुंदर ...शब्दों और भावों का सुंदर संयोजन।

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  4. protsaahan ke liye aap sabhi ka dhanyawaad.......... kaafi waqt ke baad likha hai to dar rahi thi ke kaisa hoga,, par aapki tippaniyon se urja mili... saabhaar.....

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  5. सुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।

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  6. "माफ़ी"--बहुत दिनों से आपकी पोस्ट न पढ पाने के लिए ...

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  7. Sundar kavita... us anchhuye prem ka swapn behad sundar h :)

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  8. awwww.......sooo sweet :)

    bohot khoobsurat nazm hai

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  9. बारिश की बूँदों में अब तो,
    अक्स तुम्हारा दिखता है..
    अनजानी सी इस दुनिया में,
    एक शख़्स हमारा दिखता है..

    बहुत ही मधुर .. गुनगुनाने वाली रचना है ... प्रेम का जादू चल रहा है जैसे ... बयार महक रही है ..

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  10. This comment has been removed by the author.

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  11. hardai to chu lena wali pangtiya....

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