Sunday, May 8, 2011

माँ...

माँ,
एक ऐसा शब्द
जो समेटे है अपने आप में एक दुनिया,
जो बाँट दे निःस्वार्थ भाव से सारी खुशियाँ...
माँ,
एक ऐसा शब्द
जो है सहनशीलता की निशानी,
झेलती आई है पीड़ा सदियों पुरानी...

हर इंसान का अस्तित्व माँ ने बनाया है,
फिर क्यों इंसान
अपनी माँ को ही छलता आया है??
लोगों की इस भीड़ में,
दुनिया की इस लडाई में,
अपनी माँ को ही भुलाता आया है
और अपनी हर गलती के लिए,
माँ को ही रुलाता आया है...

फिर भी
माँ हर दुःख सहती है,
दिखाने के लिए ही सही
पर हमेशा खुश रहती है...
पर क्यों,
और आखिर क्यों??

क्योंकि
वो तो बस माँ है,
ममता का जीता-जागता संसार है...

13 comments:

  1. मां तुझे सलाम

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  2. फिर भी
    माँ हर दुःख सहती है,
    दिखाने के लिए ही सही
    पर हमेशा खुश रहती है...
    पर क्यों,
    और आखिर क्यों?

    क्यों कि वो बस माँ होती है ..

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  3. हर इंसान का अस्तित्व माँ ने बनाया है,
    फिर क्यों इंसान
    अपनी माँ को ही छलता आया है??

    बहुत सही प्रश्न किया आपने.

    सादर

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  4. माँ,
    एक ऐसा शब्द
    जो समेटे है अपने आप में एक दुनिया,

    वाकई बेह्तरीन Punch line..

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  5. वन्दे मातरम्!

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  6. सच में माँ सबसे प्यारी होती है..... हैप्पी मदर्स डे

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  7. बहुत मर्मस्पर्शी रचना
    मातृ दिवस की शुभकामनाएँ...

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  8. ma ko sabdo me piraane ka paryaas sarahniya hai....aabhar

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  9. It made me nostalgic...luv u mumma.

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  10. मिताली जी आपने ये कविता लिख कर रुला दिया... माँ बहुत याद आ रही है... दूर है इसलिए मिल तो नहीं पाता हूँ सिर्फ आवाज़ से ही दिल बहलाना पड़ता है... पर हाँ कविता बहुत अच्छी लगी... ऐसे ही लिखती रहिये... आपकी कविता के लिए दो लाइने मेरी तरफ से भी--

    दुःख पीड़ा सहती है, पर कुछ भी ना कहती है,
    मां तू जहाँ भी है, हरदम मेरे पास ही रहती है..

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  11. really nice line ... great thinking ... great emotions ..:)

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