माँ,
एक ऐसा शब्द
जो समेटे है अपने आप में एक दुनिया,
जो बाँट दे निःस्वार्थ भाव से सारी खुशियाँ...
माँ,
एक ऐसा शब्द
जो है सहनशीलता की निशानी,
झेलती आई है पीड़ा सदियों पुरानी...
हर इंसान का अस्तित्व माँ ने बनाया है,
फिर क्यों इंसान
अपनी माँ को ही छलता आया है??
लोगों की इस भीड़ में,
दुनिया की इस लडाई में,
अपनी माँ को ही भुलाता आया है
और अपनी हर गलती के लिए,
माँ को ही रुलाता आया है...
फिर भी
माँ हर दुःख सहती है,
दिखाने के लिए ही सही
पर हमेशा खुश रहती है...
पर क्यों,
और आखिर क्यों??
क्योंकि
वो तो बस माँ है,
ममता का जीता-जागता संसार है...
मां तुझे सलाम
ReplyDeleteफिर भी
ReplyDeleteमाँ हर दुःख सहती है,
दिखाने के लिए ही सही
पर हमेशा खुश रहती है...
पर क्यों,
और आखिर क्यों?
क्यों कि वो बस माँ होती है ..
हर इंसान का अस्तित्व माँ ने बनाया है,
ReplyDeleteफिर क्यों इंसान
अपनी माँ को ही छलता आया है??
बहुत सही प्रश्न किया आपने.
सादर
माँ,
ReplyDeleteएक ऐसा शब्द
जो समेटे है अपने आप में एक दुनिया,
वाकई बेह्तरीन Punch line..
वन्दे मातरम्!
ReplyDeleteसच में माँ सबसे प्यारी होती है..... हैप्पी मदर्स डे
ReplyDeleteहैप्पी मदर्स डे
ReplyDeleteबहुत मर्मस्पर्शी रचना
ReplyDeleteमातृ दिवस की शुभकामनाएँ...
ma ko sabdo me piraane ka paryaas sarahniya hai....aabhar
ReplyDeleteIt made me nostalgic...luv u mumma.
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ReplyDeleteमिताली जी आपने ये कविता लिख कर रुला दिया... माँ बहुत याद आ रही है... दूर है इसलिए मिल तो नहीं पाता हूँ सिर्फ आवाज़ से ही दिल बहलाना पड़ता है... पर हाँ कविता बहुत अच्छी लगी... ऐसे ही लिखती रहिये... आपकी कविता के लिए दो लाइने मेरी तरफ से भी--
ReplyDeleteदुःख पीड़ा सहती है, पर कुछ भी ना कहती है,
मां तू जहाँ भी है, हरदम मेरे पास ही रहती है..
really nice line ... great thinking ... great emotions ..:)
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