इन नन्ही आँखों में पलते,
कभी बिगड़ते, कभी संवरते,
ये सपने ही तो हैं...
वो सपने जो पल-पल सांस लेते हैं,
अपने वजूद का हर पल
एहसास कराते हैं।
कितना विस्तृत है इन सपनों का संसार,
आशियाना है इनका नज़रों के पार।
क्या हुआ अगर,
कभी कोई सपना अधूरा रह जाये!
ये क्या कम है,
कि वो सपना जीने की वजह दे जाये।
सपनों से ही तो ज़िन्दगी की रौनक है,
अँधेरी रात में भी आँखें रोशन हैं।
कांच के जैसे होते हैं सपने...
सहेज के रखो दिल में,
तो बरसों पलते हैं...
और जो न दो अहमियत,
तो पल में बिखरते हैं...
कभी हंसाते तो कभी रुलाते हैं,
ये सपने अक्सर दिल बहलाते हैं।
आधे-अधूरे हों तो सताते हैं,
जो पूरे हों तो ख़ुशी दिलाते हैं।
कौन समझ पाया है
सपनों का मायाजाल ??
इसका उत्तर कैसे मिले,
ये है कठिन सवाल ??
कभी बिगड़ते, कभी संवरते,
ये सपने ही तो हैं...
वो सपने जो पल-पल सांस लेते हैं,
अपने वजूद का हर पल
एहसास कराते हैं।
कितना विस्तृत है इन सपनों का संसार,
आशियाना है इनका नज़रों के पार।
क्या हुआ अगर,
कभी कोई सपना अधूरा रह जाये!
ये क्या कम है,
कि वो सपना जीने की वजह दे जाये।
सपनों से ही तो ज़िन्दगी की रौनक है,
अँधेरी रात में भी आँखें रोशन हैं।
कांच के जैसे होते हैं सपने...
सहेज के रखो दिल में,
तो बरसों पलते हैं...
और जो न दो अहमियत,
तो पल में बिखरते हैं...
कभी हंसाते तो कभी रुलाते हैं,
ये सपने अक्सर दिल बहलाते हैं।
आधे-अधूरे हों तो सताते हैं,
जो पूरे हों तो ख़ुशी दिलाते हैं।
कौन समझ पाया है
सपनों का मायाजाल ??
इसका उत्तर कैसे मिले,
ये है कठिन सवाल ??
अच्छी कवितायें हैं आपकी....बस सोचना होगा आपको और ज्यादा.....!!!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteइसी तरह लिखती रहें :)
ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है
ReplyDeletewaah ji waah.. nice poem.. keep Dreaming... :P
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