१)
कभी नापा न गया
मेरे घर की देहरी से
तेरे घर के दरवाज़े की
उस लम्बाई को...
इतना लम्बा रास्ता
जो कभी कम तो न हुआ,
पर बड़ा दिए थे उसने
तेरे मेरे दरम्यान
वो फासले...
हौले से उन फासलों ने
वो काम कर दिया,
जिससे भुला दिए गए
सब रूहानी जज़्बात
और पैदा कर दी गयी
कभी न मिटने वाली
दूरियां...
२)
ये सख्त सी धरती
और वो खाली सा आसमान,
कैसे महसूस करते हैं
अपने बीच की दूरियां...
शायद उनको भी लगता होगा
कि कहीं किसी ऐसी जगह
जहाँ एक क्षितिज होगा,
वहां हो पायेगा उनका मिलन...
पर वो चाह कर भी
नहीं पाट पाते
अपने बीच की
दूरियां...